Homeअज्ञात कविचमचागीरी-63 चमचागीरी-63 budhpal अज्ञात कवि 31/05/2015 No Comments अगर चमचों को चेचक और हैज़ा न हो पाये तो, भगवान करे चमचों को डेंगू और मलेरिआ हो जाये. Tweet Pin It Related Posts अपनी सोच – बिन्देश्वर प्रसाद शर्मा (बिन्दु) याचक – बिन्देश्वर प्रसाद शर्मा – बिन्दु सहमी दुनिया About The Author budhpal मैं ३९ वर्षों की नौकरी में हर जगह चमचों से पीड़ित व्यथित व्यक्ति रहा हूँ. Leave a Reply Cancel reply Save my name, email, and website in this browser for the next time I comment.