मै मुस्कुराना चाहती हूँ
पर लोग ताकने लगते है
दबी दबी हशती हूँ तो
लोग टोकने लगते है
आश्मानो से ऊँचा
उड़ना चाहती हूँ
बन्द कमरो मे लोग
खरोचने लगते है
सास बहू के बन्धन
टूटना चाहूँ तो
तो गलियो मे
भेड़िये नौचने लगते है
अब अपने अक्श को
बनाऊँ या बचाऊँ मै
इस दरिन्दगी में
बनूँ या लुट जाऊँ मै
लगता है लोग यहां
कोरी बकवास करते है
नारी जहां पूजते है
वहां देवता निवास करते है
बहुत खूब……………..आज के समय में धरती ही पातळ लोक है , देवता तो हो ही नहीं सकते |
Thanks Rakesh sir!
Asp bhi bahut sundar likhte hai.