!! बिफोर मैरिज लीव इन टुगेदर !!
हुआ कानून पारित ,
न है समाज तारित ,
नई जान पहचान ,
भुलादी आदर सम्मान ,
बदला है कल्चर आज इस कदर ,
यस लीव इन टुगेदर !
बिफोर मैरिज लीव इन टुगेदर !!
जहा बन्धता था , बन्धन शादी की डोर मे ,
कीमत न थी , रिश्तो कि करोड मे ,
खोगया खजाना इज्जत का , कामयाबी कि होड मे ,
क्या अन्तर बचा , यहा इन्सान और ढोर मे!
बिना शादी के आज ,
उनके रहने का अन्दाज ,
है कोर्ट का सर ताज ,
पर न राजी समाज ,
बदला है कल्चर आज इसकदर ,
यस लीव इन टुगेदर !
बिफोर मैरिज लीव इन टुगेदर !!
यहा साहजादो के ऐसे इरादे ,
न सात फेरो की झन्झट , न सात जन्मो के वादे ,
मतलब ही बदल डाला स्वयम्वर ने स्वयम्वर का ,
कोर्ट भी इनके सह को क्या खूब हौसला दे !!
(नोट – अभी प्रोसेस मे है !)
अनुज तिवारी
Good poem
Thanks Singh saheb!