Homeकेदारनाथ अग्रवालमात देना नहीं जानतीं मात देना नहीं जानतीं प्रेम प्रकाश केदारनाथ अग्रवाल 24/01/2012 No Comments घर की फुटन में पड़ी औरतें ज़िन्दगी काटती हैं मर्द की मौह्ब्बत में मिला काल का काला नमक चाटती हैं जीती ज़रूर हैं जीना नहीं जानतीं; मात खातीं- मात देना नहीं जानतीं Tweet Pin It Related Posts और का और मेरा दिन मजदूर का जन्म मैना About The Author प्रेम प्रकाश Leave a Reply Cancel reply Save my name, email, and website in this browser for the next time I comment.