इस सृष्टि में भगवान है,
माँ की रूप में विघमान है।
बिन माँ कुछ कल्पना नहीं,
माँ है तो सारा जहान है।।
जो हर लेती हर दुःख को,
माँ अलैकिक शक्ति रूप है।
हर पहर करू आरती श्रद्धा से,
माँ भगवान की स्वरुप है।।
हँसके गलतियाँ करती है माँफ,
माँ करुणा-दया की सागर है।
जहाँ जीवन की शुरुवात होती है,
माँ वो पहली ऐसी डगर है।।
उजाला देने वाली माँ चंद्रसूर्य है,
माँ की महिमा जग में अपार है।
माँ हमें चरणों में रखना सदा,
माँ तू ही ज़िन्दगी की आधार है।।
तुम्हारी प्रेरणा में हर जीत है,
माँ तू ही भविष्य तू ही अतीत है।
माँ तुम्हें पाके “दुष्यंत” पुलकित है,
माँ सारा जीवन तुमपे समर्पित है।।
सच है पटेल जी बिन माँ के सब सून
सुंदर अभिव्यक्ति।आभार
धन्यवाद वैभव जी ……..
बहुत सुंंदर रचना
धन्यवाद …….maurya ji