दादी की छड़ी बड़ी निराली
दादी की वह पक्की सहेली है
दादी के साथ हरदम रहती है
दादी को ठीक चलाती है
दादी के साथ घूमने जाती है
दादी छड़ी को साथ लेजाना याद रखती है
दादी को उसका बड़ा सहारा है
दादी जब माला जपती है
छड़ी अपने पास रखती है
अगर कोई शोर मचाता है
छड़ी दिखाकर चुप कराती है
छड़ी को घुमाकर बच्चे नाचते हैं
छड़ी लेकर दादी बन जाते हैं । ।
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Nice poem