Homeकेदारनाथ अग्रवालआज नदी बिलकुल उदास थी आज नदी बिलकुल उदास थी प्रेम प्रकाश केदारनाथ अग्रवाल 24/01/2012 No Comments आज नदी बिलकुल उदास थी। सोई थी अपने पानी में, उसके दर्पण पर- बादल का वस्त्र पडा था। मैंने उसको नहीं जगाया, दबे पांव घर वापस आया। Tweet Pin It Related Posts जो जीवन की धूल चाट कर बड़ा हुआ है हमारी जिन्दगी मैना About The Author प्रेम प्रकाश Leave a Reply Cancel reply Save my name, email, and website in this browser for the next time I comment.