Homeअज्ञात कविचमचागीरी-४२ चमचागीरी-४२ budhpal अज्ञात कवि 26/04/2015 No Comments हे भगवान यह अच्छा काम क्यों नहीं हुआ; भूकम्प आया फिर भी एक चमचा नहीं मरा. Tweet Pin It Related Posts हम जीना सीखे – अनु महेश्वरी कली और माली……. काजल सोनी खामोशियों मे……..IBN About The Author budhpal मैं ३९ वर्षों की नौकरी में हर जगह चमचों से पीड़ित व्यथित व्यक्ति रहा हूँ. Leave a Reply Cancel reply Save my name, email, and website in this browser for the next time I comment.