Homeअज्ञात कविचमचागीरी-33 चमचागीरी-33 budhpal अज्ञात कवि 26/04/2015 No Comments जिंदगी झाड़ है मुसीबतों का पहाड़ है; नौकरी में या तो चमचागीरी है या अपनी-अपनी जुगाड़ है. Tweet Pin It Related Posts केला-वाला प्यार का एहसास – मनुराज वार्ष्णेय लालच बड़ा बेकार – बी पी शर्मा बिन्दु About The Author budhpal मैं ३९ वर्षों की नौकरी में हर जगह चमचों से पीड़ित व्यथित व्यक्ति रहा हूँ. Leave a Reply Cancel reply Save my name, email, and website in this browser for the next time I comment.