Homeअज्ञात कविचमचागीरी-32 चमचागीरी-32 budhpal अज्ञात कवि 26/04/2015 No Comments जहाँ लोग सिर्फ अपने काम की जिद पे अड़े हों; चमचों से कह दो अलग से हट कर खड़े हों. Tweet Pin It Related Posts सैनिक वीर – बिन्देश्वर प्रसाद शर्मा – बिन्दु “मेरी तन्हाई “ रूबरू – बिन्देश्वर प्रसाद शर्मा (बिन्दु) About The Author budhpal मैं ३९ वर्षों की नौकरी में हर जगह चमचों से पीड़ित व्यथित व्यक्ति रहा हूँ. Leave a Reply Cancel reply Save my name, email, and website in this browser for the next time I comment.