Homeअज्ञात कविचमचागीरी -24 चमचागीरी -24 budhpal अज्ञात कवि 21/04/2015 No Comments न गरीबी ने मारा है न ही मंहगाई मार पाई है; हिन्दुस्तानिओं को तो चमचागिरी ने मारा है जो सब जगह छाई है. Tweet Pin It Related Posts गीदड़ – बिन्देश्वर प्रसाद शर्मा बिन्दु ” निर्वाह घर का “ सौंधी महक About The Author budhpal मैं ३९ वर्षों की नौकरी में हर जगह चमचों से पीड़ित व्यथित व्यक्ति रहा हूँ. Leave a Reply Cancel reply Save my name, email, and website in this browser for the next time I comment.