Homeअज्ञात कविचमचागीरी -23 चमचागीरी -23 budhpal अज्ञात कवि 21/04/2015 No Comments अगर खुदा हमारी बात पर रज़ामंद हो जाए, तो दुनिया में चमचागिरी बंद हो जाए; जिंदगी जो चमचों ने बना रखी है करेले सी कड़वी, सभी की जिंदगी कलाकंद हो जाए. Tweet Pin It Related Posts राक्षस की जीभ मैने लिखना छोड़ दिया है:अनन्य उम्र क्या है मेरी – अनु महेश्वरी About The Author budhpal मैं ३९ वर्षों की नौकरी में हर जगह चमचों से पीड़ित व्यथित व्यक्ति रहा हूँ. Leave a Reply Cancel reply Save my name, email, and website in this browser for the next time I comment.