Homeआलोक रंजन झा 'सहर'धुंधले से धुंधले से sahar आलोक रंजन झा 'सहर' 14/04/2015 No Comments ग़ज़ल धुंधले से नज़र आते हैं किनारे हमको , छोड़ देना नहीं लहरों के सहारे हमको | जो भी कहना है मुझे, सादगी से कह डालो ! , बदगुमाँ करते हैं आँखों के इशारे हमको | अधूरा ख़्वाब था जो इश्क़ की तरह था ‘सहर’ कहे पागल कोई! आशिक़ ना पुकारे हमको | Tweet Pin It Related Posts बयाबाँ बावरी सनसनी About The Author sahar Leave a Reply Cancel reply Save my name, email, and website in this browser for the next time I comment.