ग़ज़ल
इतनी हसरत से देखता क्या है !
मेरे चेहरे में अब नया क्या है?
मिल गये जिस्म मगर दिल ना मिले,
गर ये राहत है तो,सज़ा क्या है?
उठ के झुकती हुईं पलकों का बयाँ!
ना है चाहत तो फिर,बता क्या है?
सबके हँसने से अगर आये हँसी,
कौन पूछे के ,वाक़या क्या है?
ऐ ‘सहर’ मुझपे यूँ यक़ीं ना सही !
मेरा माज़ी तुझे पता क्या है?