Homeअज्ञात कविचमचागिरी-९ चमचागिरी-९ budhpal अज्ञात कवि 13/04/2015 No Comments हर गली हर नुक्कड़ पे चमचागिरी की दुकान है ; इसी लिए तो भाइयो और बहनो मेरा भारत महान है. Tweet Pin It Related Posts राजनीति के जंगल में दंगल और मंगल मेरे अटल — उदयप्रकाश द्धिवेदी नाच और डान्स (हास्य) About The Author budhpal मैं ३९ वर्षों की नौकरी में हर जगह चमचों से पीड़ित व्यथित व्यक्ति रहा हूँ. Leave a Reply Cancel reply Save my name, email, and website in this browser for the next time I comment.