Homeअज्ञात कविचमचागिरी -४ चमचागिरी -४ budhpal अज्ञात कवि 13/04/2015 No Comments हे भगवान सभी के लिए एक अच्छा काम क्यों नहीं करते ; जब कभी भी भूकम्प आता है सब मरते हैं पर चमचे नहीं मरते. Tweet Pin It Related Posts || जिन्दगी || खुदा भी कौन कौन से खेल खिला रहा है दो पल कर लो प्यार प्रिये मेरा मुझ पर कोई अधिकार नही About The Author budhpal मैं ३९ वर्षों की नौकरी में हर जगह चमचों से पीड़ित व्यथित व्यक्ति रहा हूँ. Leave a Reply Cancel reply Save my name, email, and website in this browser for the next time I comment.