जिक्र हो किसी का बार बार तो उसे इश्क जानिये।
हर आहट करने लगे बेकरार तो उसे इश्क जानिए।
तन्हाई जब गुनगुनाने लगे कोई यादों की गजल।
खुद से भी ज्यादा हो ऐतबार तो उसे इश्क जानिए।
रातों में करवटें बदलने लगें तो उसे इश्क जानिए।
ख़्वाबों में कोई मिलने लगें तो उसे इश्क जानिए।
आग में जलेंगे ही जलना आग की फितरत है
बारिश में भी जो जलने लगे तो उसे इश्क जानिए।
धूप में छाँव का एहसास हो तो उसे इश्क जानिए।
दूर होकर भी कोई पास हो तो उसे इश्क जानिए।
महफ़िल में नज़र बस किसी एक को तलाश करे
जब हजारों में कोई खास हो तो उसे इश्क जानिए।
वैभव”विशेष”
मन कि जो बात लिख जाये तो इशक जानिए
मे बोला और आप लिख दिये इसके लिए धन्यवाद
मेरी एक problem हॅ मुझे लगता हॅ आप उसे हल कर सकते हॅ मेरा ये नम्बर हॅ 7563016646 what’s app का उसपे आप मुझसे बात करे तो आप कि क्रिपा होगी नहीं
तो आप अपना नम्बर दे दीजिए मॅ फोन करता हू
कविता पर प्रतिक्रिया व्यक्त करने के लिए
धन्यवाद बिरला जी।
मैंने whtsapp पर आपको add कर
लिया है।
इश्क़ जानिये वाकई में बहुत अच्छी रचना लगी….. शुभकामनाएं!
धन्यवाद भारद्वाज जी।