Homeरचना शर्माख्वाबों के टुकड़े ख्वाबों के टुकड़े Rachana sharma रचना शर्मा 10/04/2015 6 Comments रोज देखती हूँ उसे बटोरते हुए ख्वाबों के टूटे टुकड़े फिर उन्हें सहेज कर रखते हुए उम्मीद के पिटारे में इंतज़ार है मुझे उस पल का जब ख्वाब पिटारे में बंद नहीं होंगे हकीकत बनकर उसकी आँखों से बहेंगे … खुशियों के आंसू बनकर ….. Rachana Sharma Tweet Pin It Related Posts उजाले आजादी जिन्दगी About The Author rachana राजस्थान यूनिवर्सिटी से एम ए ,बी एड और एल एल बी,वर्तमान में एक एन जी ओ में कार्यरत | बच्चों एवं महिलाओं के साथ काम करना बेहद पसंद | 6 Comments वैभव दुबे 10/04/2015 रचना जी।।आपकी कविताओं ने मुझे प्रभावित किया। Reply rachana 13/04/2015 Thank you Vaibhav ji Reply DR. GANGADHAR DHOKE 02/05/2015 सुन्दर कविता है. आपमे रचनाशीलता की अपार सम्भावनाये है. Reply rachana 04/05/2015 हौसला बढ़ने के लिए आभार एवं धन्यवाद गंगाधर जी Reply babucm 26/04/2016 निहायत ही खूबसूरत अंदाज़ में ख़्वाबों को उभारती रचना. Reply Rachana sharma 26/04/2016 Thanks Reply Leave a Reply Cancel reply Save my name, email, and website in this browser for the next time I comment.
रचना जी।।आपकी कविताओं
ने मुझे प्रभावित किया।
Thank you Vaibhav ji
सुन्दर कविता है. आपमे रचनाशीलता की अपार सम्भावनाये है.
हौसला बढ़ने के लिए आभार एवं धन्यवाद गंगाधर जी
निहायत ही खूबसूरत अंदाज़ में ख़्वाबों को उभारती रचना.
Thanks