Homeरचना शर्माअंजुरी भर धूप अंजुरी भर धूप Rachana sharma रचना शर्मा 10/04/2015 4 Comments धूप .. क्यों न तुझे भर लूं अंजुरी में और बिखेर आऊँ उस तंग गली की सीलन भरी कोठरी में जहाँ बूढी आँखे झांक रही हैं फटे कम्बल से इस इंतज़ार में कि उनका जाया कोई आएगा जो दीपक में सूख चुकी बाती को जलाकर ,उन्हें .. रोशनी दिखायेगा Tweet Pin It Related Posts उजाले अकालग्रस्त जिन्दगी About The Author rachana राजस्थान यूनिवर्सिटी से एम ए ,बी एड और एल एल बी,वर्तमान में एक एन जी ओ में कार्यरत | बच्चों एवं महिलाओं के साथ काम करना बेहद पसंद | 4 Comments वैभव दुबे 10/04/2015 बहुत खूब।। Reply DR. GANGADHAR DHOKE 02/05/2015 Samvednshil sakhs ki samvedshil rachna. shukriya. Reply babucm 26/04/2016 वाह. विश्वास और आशाओं को ज़िंदा रखने की कला. बहुत ही खूब. Reply Rachana sharma 26/04/2016 Thank you. Reply Leave a Reply Cancel reply Save my name, email, and website in this browser for the next time I comment.
बहुत खूब।।
Samvednshil sakhs ki samvedshil rachna. shukriya.
वाह. विश्वास और आशाओं को ज़िंदा रखने की कला. बहुत ही खूब.
Thank you.