जिस तरह –
सागर की गोद में मोती मिलते है तो,
हमारी गोद में प्यार.
गुलाब के फूल में कांटे मिलते है तो,
हमारी रिश्तों में दरार ,
पेड़ के तने से गोंद टपकता है तो,
हमारी आँखों से आंसुओं की धार,
सोने में तपन है तो,
हमारे अंदर बीसी की मार,
काली से फूल तक का समय तो ,
हम भी है संघर्षो का कारगर ,
पहाड़ों में स्तंभता है तो ,
हम में हिम्मत का आसार ,
दुनिया में नदी, पहाड़, झरने है तो ,
हमारे अंदर अथाह संसार ,
बानी रहेगी ये धरती अगर ,
बनाये रखेंगे इसे एक सार ,
क्योकि मनो या न मनो ,
ये दुनिया है एक परिवार.
ooppsss…Almost u achieved it to the cult status…Though i appreciate it to try a new structure . Lacked the rhyme indeed..But eventually so apt interpretation of emotions …Keep writing