अर्ज किया है
आज भी दिल मेरा टुटा नहीं है
बचपन का हर दावा झूठा नही है
आज भी पत्थरों पर झुक जाता हूँ कभी
लगता है ख़ुदा मेरा ,मुझसे रूठा नहीं है
मै तिजारत करता हूँ उंचाइयों की लेकिन
लोग हैं की दीपक अधम बुझा देते हैं
खड़ा रहता हूँ गर्दिश मे भी ,बड़ी उम्मीद से
मारने के लिए लोग ,फिर पलकें झुका देते हैं
ek dam maste