Homeराकेश कुमारछोड़ देते है छोड़ देते है rakesh kumar राकेश कुमार 09/04/2015 No Comments कश्मकश ऐसी निगलने को मुझे बिसात पर अपनी चलने को मुझे दुआएं देते हैं और छोड़ देते है रेगिस्तान में खिलने को मुझे आते तो हैं लोग मिलने को मुझे मुस्कुराहट से अपनी छलने को मुझे कहते हैं शमां हूँ जिंदगी की उनकी छोड़ देते है दरवाजों पर पिघलने को मुझे Tweet Pin It Related Posts बेबश इन्शान तेरे काबिल घर तक का सफ़र,, About The Author rakesh kumar राकेश कुमार (M Sc LLB) सरकारी सेवारत [email protected] 8901238919,6005479067 प्रकाशित पुस्तकें - सौहार्द (काव्य संग्रह ) सोच और सच्चाई (काव्य संग्रह ) (उत्त्कर्ष प्रकाशन मेरठ) Humanity Award winner by AR foundation Leave a Reply Cancel reply Save my name, email, and website in this browser for the next time I comment.