आज तो इस आसमान को किसी ने
ज़रा क्या छुआ सा है
इसके ऊँचे दंभ का साम्राज्य
अब रुआंसा है
तभी तो ज़रा सामने देखो
क्षितिज पर कुछ धुंआ सा है ।
बिजली का कड़कना जयी के लिए
मानो दुआ सा है
कह रही है आसमान … तू अब झुकेगा
तू तो ख़त्म हुआ सा है
तभी तो ज़रा सामने देखो
क्षितिज पर कुछ धुंआ सा है । ।
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