मुझे तेरी बहुत याद आती है माँ
तेरी याद तुझसे दूर होने का दर्द दे जाती है माँ
तेरे पास था तो तेरे आँचल में सो जाता था माँ
अब सोने से पहले तेरे खयालो में खो जाता हु माँ
मेरी हर तकलीफ में मुझसे ज्यादा दर्द पाती है माँ
वो भी क्या दिन थे जब अपने हाथो से खिलाती थी माँ
जब पास था तो बाहर जाने को ललचाता था माँ
अब महीनो तुझसे मिलने को तरस जाता हु माँ
तेरे दरखती अहसास की छाँव को नहीं भूल पता हु माँ
वो छाँव बरक़रार है ,अब इसी से खुद को समझाता हु माँ
तेरी ममता के मुजस्समे को मन में बसाया हुआ है माँ
मैने मन में तेरा मंदिर बनाया हुआ है माँ
अच्छी रचना है
धन्यवाद राकेश जी
Very nice and feeling of mother love
धन्यवाद सौरभ जी
मा पर अच्छी कविता