वन्दे अनाड़ी, इक बार गा ले I
राम नाम गा के मुक्ति तू पा ले II
ये तन तो है माटी फिर क्या भरम है,
तुझे इसको खोने का क्यूँ इतना गम है,
प्रभु के भजन में तू मन को लगा ले I
राम नाम गा के मुक्ति तू पा ले II
हर दर्द की बस इक ही दवा है,
राम नाम सी कोई औषधि कहाँ है,
आ के शरण प्रभु की तू भय को भुला दे I
राम नाम गा के मुक्ति तू पा ले II
लगाएगा जो मन प्रभु के भजन में,
उसके कटेंगे बंधन जीवन मरण के,
करुणा के सागर की, करुणा को पा ले I
राम नाम गा के मुक्ति तू पा ले II
(राहुल सिंह)