Homeचित्रा सिंहतुम्हारा आना तुम्हारा आना शिवम चित्रा सिंह 22/02/2012 No Comments तुम्हारा आना, आकर मेरी ज़िन्दगी के केनवास पर खिंची आड़ी-तिरछी लकीरों को जोड़ना सलीके से, भरना उनमें रंग जिससे बनी भी ख़ूबसूरत-सी तस्वीर, तस्वीर जिसकी शक्ल बिल्कुल मेरी-सी है और वो रंग तुम्हारे मैंने भर लिए हैं, अपनी माँग में । Tweet Pin It Related Posts प्यार की सीमा रेखा अपने ख़्वाबों को सजाकर टूटे हुए सपने से About The Author शिवम Leave a Reply Cancel reply Save my name, email, and website in this browser for the next time I comment.