Homeचिरंजीवबड़ भागिनी रूप की रासि प्रिये बड़ भागिनी रूप की रासि प्रिये शिवम चिरंजीव 22/02/2012 No Comments बड़ भागिनी रूप की रासि प्रिये , अनरीति हिये ते बहाइये जू । अब प्रीति के पँथ महानिधि मेँ , अबला अपनो मन लाइये जू । चिरजीवी तुम्हैं कर जोरे कहै , जनि लाड़िले का बिसराइये जू । इन नैन के बानन मारयो जिन्हैँ तिन्हैँ रूप सुधा सोँ जियाइये जू । Tweet Pin It About The Author शिवम Leave a Reply Cancel reply Save my name, email, and website in this browser for the next time I comment.