Homeअज्ञात कविबेकरारी बेकरारी vishal bharat अज्ञात कवि 28/02/2015 No Comments रात कितनी हो रही हैं क्यों नही सो रहें हैं, वो मुझसे पूछते हैं की क्यों इतना रो रहें हैं, अपने दिल की दास्तान कैसे बयां करू उन्हें, की किसी के कितनी पास आकर कितने दूर हो रहें हैं, Tweet Pin It Related Posts ग़ज़ल।क़ीमत चुकाई तो नही जाती । लक्ष्य को रख कर सामने बढे चल तु बढे चल मानसिकता – बिन्देश्वर प्रसाद शर्मा (बिन्दु) About The Author vishal bharat Leave a Reply Cancel reply Save my name, email, and website in this browser for the next time I comment.