कोई मस्ताना कहता है,
कोई परवाना कहता है।
मेरे दिल की गहराई में झांको,
तेरा चेहरा झलकता है।
तू मुझसे चली गयी है दूर,
मेरे दिल को अखरता है।
तू मुझसे दूर है लेकिन,
दिल के करीब लगती है।
मैं तेरे प्यार में पागल,
तू मेरे प्यार की दीवानी।
ये तेरा दिल समझता है,
या मेरा दिल समझता है।
इस दुनिया को तेरा मेरा,
रिश्ता बेमाना लगता है।
हमारे रिश्ते की पवित्रता को,
केवल खुदा समझता है।
ये दुनिया वाले लोग हैं,
केवल वही चार लोग।
जिनका नाम ले ले कर,
रिश्तेदार उलाहना देते हैं।
कि तुमने किया गलत कुछ भी,
बोल बोल कर हमारी जान ले लेंगे।
ना बोले पलट कर कुछ भी,
तब भी यही प्रक्रिया होगी।
नहीं तो भरी महफ़िल में,
द्रोपदी सी चीर हरण होगी।
इन सबसे बचना है तो,
बुलंद अपनी आवाज करो।
नहीं तो मूक दर्शक से,
तालियाँ बजाओ तुम।
good poem
धन्यवाद्
यह कविता श्री कुमार विश्वास की “कोई दीवाना कहता है” से प्रेरित है