याद के दीपक बुझाये चल दिये
इस तरह नजरे झुकाये चल दिये.
रोये तमाम उम्र आंख में आंसू नहीं
गम छुपाये मुस्कुराये चल दिये.
खाक कर देगी रुह को ये तिश्नगी
आग दामन में समाये चल दिये.
चांद सूरज बस झगडते रह गये
रात ने नगमे सजाये चल दिये.
आइना भी देखकर आपको घबरा गया
आप आये जख्म खाये चल दिये.
दास दस्तक दे रहा वक्त का मन्जर
कोई आये कोई जाये चल दिये.
शिवचरण दास