जनवरी२७,२०१५ माघ शुक्ल८, संबत्२०७१
‘मंगल ‘ का घनघोर घटा ,
अब – तब करते बरसात |
आओ सपने सजा-सजा कर,
रख लें ममता की लाज |
चारो तरफ अँधेरा दिखता ,
कही- कहीं पर प्रकाश |
फिर भी आयो दौड़धूप कर,
खेलें हम सब नूतन पाश ||
पाश -आर्य जाती का लड़ने का हथियार ,फंदा|
शान है सम्मान है वही सभ्यता वही संस्कृति जनतंत्र की जान है |
मानवता विज्ञान-ज्ञान है रामायण वेद पुराण है निज देश महान है ||