इस बस्ती में आग लगाई है गुमनाम मसीहा ने
दिल में खूनी प्यास जगाई है गुमनाम मसीहा ने
हाथ में माला आंख में खन्जर ओठों पर मोहक मुस्कान
अबकी गहरी चाल चलाई है गुमनाम मसीहा नें.
घर की छ्त से रोज बदलती आपस मे कितनी चीजें
हर दिल में दिवार उठाई है गुमनाम मसीहा नें.
रोज जहा रामू दीनू सुख दुख की बाते करते
गलियों मे भी गश्त लगाई है गुमनाम मसीहा नें.
आंख मिचोली आइस पाइस और किर्किट का खेल
गूडिया की शादी रुकवाइ है गुमनाम मसीहा नें.
स्कूल गया था मुन्ना आज तलक न लौट सका
ममता कर्फ्यू मेम लुटवाई है गुमनाम मसीहा नें.
चूल्हे हैं खामोश सभी घर की चिमनी हैं कोरी
रोटी तक सबकी छिनवाई है गुमनाम मसीहा नें.
कई दिनों के फाको ने दास बहुत मजबूर किया
टुकडों पर अस्मत बिकवाई है गुमनाम मसीहा नें.
शिवचरण दास
Nice thought
Very Good