मन की सुन्दर, सुन्दरता
तन का रूप छलावा l
रंग रूप के, वश में हुए तो
होगा फिर पछतावा ll
रे भैया …………….
अपना-अपना सब कहें
अपना हुआ न कोयl
पाप की दौलत जोड़ के
सुख से रहा ना कोय ll
रे भैया …………….
दोस्त बहुत मिल जायेंगे
साथ कौन चल पायेगा l
दुःख के पलो में जो संग रहे
सच्चा दोस्त कहलायेगा ll
रे भैया …………….
पल दो पल की जिंदगी
साथ कुछ ना जायेगा l
अंहकार की बेड़ी तोड़ दे
जीवन ये तर जायेंगा ll
रे भैया …………….
नारी के है रूप अनेक
हर रूप का अपना वजूद l
जहाँ लक्ष्मी का रूप है वो
वहीं चंडी का भी रूप ll
रे भैया …………….
मै-मै की इस आग में
तप रहा इंसान l
अंत समय में एक ही शब्द
मुँख से निकले राम ll
रे भैया …………….
बहुत खुब I