अतीत में न कर ज़िन्दगी बरबाद,
आज भविष्य का निर्माण करना है.
न रख सपने को कैद करके,
नई आसमा नई चाँद बनाना है.
महकाना है आज चंहु दिशा को,
कुसुम की तरह खिले रहना है.
सागर इंतजार कर रहा होगा जरूर,
आज नदी बनकर तेज़ बहना है.
ज्ञान दीप सदा जलते रहने दे,
जहा की अंधकार दूर करना है.
हो सागर में समाने को तैयार,
गर्त में जाके मोती ढूंढ़ना है.
हो लबालब विवेक, आत्मविश्वास से,
आज समय कठिन इम्तिहान का है.
करे सारा जहा एक दिन अनुसरण,
आज ऐसी पथ निर्माण करना है.
मरने के बाद नाम रहे अमर,
आज ऐसा कुछ करके दिखाना है.
आओ सब मिलजुलकर आज करे मेहनत,
चाँद,मंगल में घर बसाना है.
आओ ले संकल्प आज से हमसब,
प्रेम रस हँवा में घोलना है.
आज नफरत की दीवार ढहाना है,
चाहत से सारे दुनिया को सजाना है.
छोटे-बड़े हो सभी का हो सम्मान,
भारत को दुनिया में पूज्नीय बनाना है .
अपने अंदर की जला दो जलन,
हिन्दुस्ता को सोने की चिड़िया फिर से बनाना है.
कलंक की हर एक दाग मिटाना है,
भारत के कोने -कोने में गंगा बहाना है.
शांति की उद्घोष बजाना है,
खुशहाली की सन्देश फैलाना है.
आज हटा के राँह से कांटा,
मखमल फूल की चादर बिछाना है.
न हो दुनियाँ में रंग भेद,
आज इसे जड़ से उखाड़ना है.
जन-जन तक बात पहुचना है,
दुल्हन की तरह धरती को सजाना है.
दुश्मनो की बस्ती में आज से,
हिम्मत की नई डगर बनाना है.
आज पत्थर को भी मानना है,
बंजर भूमि को स्वर्ग बनाना है.
हिन्दुस्ता पे जीना है, हिन्दुस्ता पे मरना है.
@@@ दुष्यंत पटेल @@@