शब्द ही मेरी पूजा हैं ,शब्द ही मेरी आस्था हैं ,शब्द ही मेरा अर्चन -वंदन हैं ,शब्द ही मेरे देवता हैं ,शब्द ही मेरे जीवन को संगीतमय करते हैं ,शब्द ही मेरे हृदय की हर धड़कन में रचते -बसते हैं ,शब्द ही मेरी स्वाँसों के आवागमन में यात्रा करते हैं .... पिछले दो दशकों से कविता की वाचिक परम्परा से जुडी हुई हूँ मैं ...सतत कवि-सम्मेलनीय यात्राएँ जीवन को उत्साह से भर देतीं हैं ..यहाँ मैं अपने मित्रों को अपनी उन रचनाओं से जोड़ना चाहती हूँ,जिनका पाठ मंचों से नहीं कर पाती ! आप सब मेरी काव्य -यात्रा के सहयात्री रहेंगे ऐसी आशा करती हूँ !
बहुत खूब।