ख्वाब कभी टूट न पाये
कर्म ही पूजा हो राह से अपनी भटक न जाए !
देखो ख्वाब सुहाने ऐसे जो कभी टूट न पाये !!
जख्म भले हो इस तन पर हम अब रुक न पाये !
रहे होसला खुद इतना, अंदर से हम टूट न पाये !!
चालाकी अपनी रग में नहीं, सत्यता हम अपनाये !
इतने भी न हो सीदे-सादे, जग वाले हमे लूट जाये !!
तबियत के हम कुछ ऐसे हो, सब दिल से अपनाये !
अपना हो या हो पराया, कोई बेवजह सताने न पाये !!
बच रहना झूठे अफसानों से आचँ कभी न खुद पे आये !
पाकर कोई मौका तुमको, कभी बदनाम कर न जाये !!
नौका अपनी बचा के रखना कही शिकस्ता हो न जाए !
बीच मझदार फंसे न रहना, साहिल कही छूट न जाए !!
स्वर कभी न कटु बखानो जुड़े बंधन कही छूट न जाए !
मुश्किल से बनते है सम्बन्ध, रिश्ते नाते टूट न जाए !!
आती जाती दुनिया है ये अपने कही छूट न जाए !
क़द्र करो यार पुरानो की, हमसे कही रूठ न जाए !!
डी. के. निवातियाँ______________$$$