तू कहाँ है पास आ,
उजड़ी दुनिया को मेरे बसा.
इस तड़पती हुई ज़िन्दगी को,
तू न दे और सजा.
सुन दिल की आवाज़,
कही भी है लौट आ …….
मेरी ज़िन्दगी सकून तू है,
भला कैसे भुलु तुझे बता.
मुझे याद आती है हरपल,
तेरे साथ बिताये हर लम्हा.
ज़िन्दगी रुकी सी है,
मेरे साजन तू जल्दी आ.
ज़ी रही हु मर -मर के.
आके मिल , कर इतनी मेहरबाँ,
तेरे प्यार के बाँवरी हु,
तेरे यादो में हु ज़िंदा..
मै बन गई हु रेगिस्तान,
वो सावन बावरा तू आ.
तेरे प्यार के बारिश में,
मेरी तन-मन को भीगा.
तेरे वफ़ा में हु रमा,
तू न दे और सजा.
पुकार रही है राधा तेरी,
मेरे साजन तू जल्दी आ …
कोई गुनाह की है तो,
बेशक देना जरूर मुझे सजा.
कम से कम इसी बहाने तो,
मुझे तेरे कभी पास बुला.
@@@ दुष्यंत पटेल @@…
पटेल जी आपकी रचनये पढ़ के अच्छा लगता है।।
लिखते रहिये।।
मुझे जानकर ख़ुशी हुआ , मै हमेशा लिखता रहूँगा.
धन्यवाद वैभव जी