Homeअरुणा रायकि अपना ख़ुदा होना कि अपना ख़ुदा होना शिवम अरुणा राय 22/02/2012 No Comments ग़ुलामों की ज़ुबान नही होती सपने नही होते इश्क तो दूर जीने की बात नही होती मैं कैसे भूल जाऊँ अपनी ग़ुलामी कि अपना ख़ुदा होना कभी भूलता नहीं तू.. Tweet Pin It Related Posts मौन का हाथ कहाँ हो तुम अदृश्य परदे के पीछे से About The Author शिवम Leave a Reply Cancel reply Save my name, email, and website in this browser for the next time I comment.