ऐ खुदा तू है कहाँ?
मैं हूँ यहाँ, जहाँ
उसने है मुझको दिया भुला
जिसकी झील सी आँखों में
मैंने था देखा जहा
उसकी अनकही सदा को
भी था मैंने सुना
जिसके पागलपन में
मैं अब भी हूँ फ़ना
उसके नफरत को भी
दिल से ना कर सका जूदा
तू ही बता मेरी क्या खता?
इस दर्द को मैंने दी है पनाह
एक वक़्त ना उसको भुला सका
ऐ खुदा तू ही बता
क्या प्यार करना है एक गुनाह …