सौगात मेरे सपनो की
मै साथ लेकर आता हुँ
एक-अकेला होता हुँ तो
गीत उसीके गाता हुँ
निर सरीता सा मै बहता
गीरता, उठता रहता हुँ
कभी कभी मै भाप बनकर
चंदा को मिल जाता हुँ
घुमा करता जब जब जग मे
खुद ब खुद पथ बन जाता हुँ
चह चहाती चूँ चूँ आहट
सुन सुन एहसास पाता हुँ
कलीयो पे जब मै मंढराता
गुनगुन उन्हे सुनाता हुँ
फुलो से मै खत ला ला कर
प्यार मुहब्बत महकता हुँ
हो हवा का झोका जब मै
जुल्फो में घीर आता हुँ
कभी कभी गेसुओ मे छुपकर
गम अपना भुलाता हुँ