तिनके सी दिखे जींदगी मुझे निगाहो से
दुर होकर देख लेता मै तुझे नजारो से
हर बुंद हो गयी हवा, उतरकर आँखो सें
हर मौज छु गयी ,पलकों के किनारो से
खुशबु की तरह फुलो से खो गयी तमन्ना
जीना सीख लेता ,उन बुझे चिरागो से
हर सास हो गयी धुवॉ, निकलकर सीनेसे
हर प्यास पी गयी ,सपनो को सागरोसे
बारीश की तरह बादलोसे रो ली आशा
जींदगी जान पाता ,अस्थीबुझे मजारोसे
हर आस टूटी ,अंधी सनम की बाहोमे
हर शर्म जी उठी, जानीसा के नफरतोसे
रुहकी की तरह जीस्मसे खो गयी उमंग
अस्तित्व जान लेता ,प्यार की गहरायीसे