जिंदगी की शाम हु मैं, आज तुम्हारे नाम हु मैं,
रख लो होठों से लगाकर, कही छलकता जाम हु मैं.
मैं अंगूरों की बानी हु, मदिरायलए पयासी हु मैं.
मेरे दास है पिने वाले, और उनकी दासी हु मैं.
रूह को सुकून देती, दर्द का पैगाम हु मैं,
रख लो होठों से लगाकर, कही छलकता जाम हु मैं.
जिंदगी की शाम हु मैं, आज तुम्हारे नाम हु मैं,
मैं बड़ी पॉयरी बला हु, और मेरे रंग है गेहरें.
लाल पीले बोतलों से, लगती हु मैं और सुनहरे.
आते है हर लोग खिचे, ऐसी काया आम हु मैं.
जात पात को मैं न देखती, सब की छाया शाम हु मैं,
रख लो होठों से लगाकर, कही छलकता जाम हु मैं.
जिंदगी की शाम हु मैं, आज तुम्हारे नाम हु मैं,
हु जहा मैं वह जगह भी, जलवा ऐ माशूक नहीं .
शौक ऐ दीदार अगर है, तो हर नज़र महबूब सही.
पार्टिओ में रओनको का,एकलौता इललजम हु मैं.
रख लो होठों से लगाकर, कही छलकता जाम हु मैं.
जिंदगी की शाम हु मैं, आज तुम्हारे नाम हु मैं,
आमोद ओझा (रागी)
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Super
Thanks dwivedi ji