म्रित सय्या पे सोना है, आतंक वाद गुल्फ़ामे हुस्न.
नाही इसके जात पात है, नाही है जनाने हुस्न.
बम बारूदों से पिघले है, मतवाले मस्ताने हुस्न.
नाही इनकी सीमा कोई, नाही अपने बेगाने हुस्न.
सर काटना मार देना, है इनके कारनामे हुस्न.
अपनों का ही गला घोटें, और बच्चो की किलकारियों को.
माताओ को विधवा कर दे, मार के अपने ही बापों को.
बहु बेटीओ के इज्जत से, खिलवाड़ करते इन सांपों को.
देश का विनाश करते, देख रहे है इन आतंक वादो को.
क्या हम में शक्ति नही जो, इन दुस्टों का संघार करें.
रोक सके उन धर्मनिरपेछो को, जो आतंक वाद वयापार करें.
लम्बी छाती चौड़ा सीना, दीखते है बस छप्पन इंच.
अपने में ही करते रहते, आतंक विरोधी मंथन किंच.
बढ़ा लेते है आलिंगन बस, आतंक वाद मिटाने को.
हिन्दू मुस्लिम सिख ईसाई, भाईचारा लाने को.
आतंक वाद कोई जात नहीं है, भाईचारा सौगात नहीं है
मौका परास्त ये लोग है बस कुछ, और इनकी औकात नहीं हैं.
खाते हैं हम कसम हर कदम, बस आतंक वाद मिटानी हैं
लेकिन नहीं मिटेगी कभी ये, हैवानो ने ठानी हैं
करना हैं जो आतंक वाद खत्म, आओ ये प्रण स्वीकार करो.
करते हैं जो व्यापार इसका, उन धर्मनिरपेछो का बहिस्कार करो.
आमोद ओझा (रागी)
Bahut achhe Amod Babu lage raho
Dhanyawad dwivedi ji