जिन्दा तो हूँ मैं आज भी, दूर होकर तुझसे,
रिश्ता तोड़ लिया खुशियों ने, रूठकर मुझसे,
बेवफा मुझे, मेरी सासें भी कहती हैं,
आलम-ए-दिल, समझ कर भी न समझती हैं,
मैं तबस्सुम के सहारे अपना दर्द जाया करती हूँ,
तेरी यादों के साए में, मैं बार-बार मरती हूँ,
फिर भी जिन्दा हूँ मैं, दूर होकर तुझसे !
– श्रेया आनन्द
(7th Aug 2013)