जब रात को आसमान पर,
अँधेरे के साए छाएँगे,
तब याद तुम्हारी आएगी,
दिल को मेरे तड़पाएगी !
अल्फाज थर्थारायेंगे,
लफ्ज लफ्ज में कम्पन होगी,
जब याद तुम्हारी आएगी !
हवाएं थमकर बहेंगी,
दूर तक तन्हाई होगी,
जब याद तुम्हारी आएगी !
आसमां सिसकेगा,
धरती की आँखें भर आएँगी,
जब याद तुम्हारी आएगी !
नम सी फिजाएं होंगी,
जब याद तुम्हारी आएगी !
आलम के पनाह में,
दर्द भी सिमट जाएगी,
जब याद तुम्हारी आएगी !
– श्रेया आनंद
(22nd June 2006)