अभिलाषा ( भाग दो )
@——युवक की अभिलाषा —[email protected]
पत्नी ऐसी दीजीए, हमको तुम भगवान !
देखन में ऐश्वर्या लगे, सुंदरता की खान !!
संस्कारी बहु बने घर की रखे साफ़ सफाई !
सारा घर का काम करे, बनकर शांताबाई !!
रेखा जैसा जलवा हो,जो साठ में भी युवा लगे !
प्रियंका सी फिगर रखती, माधुरी सा डांस करे !!
सोनिया जैसी चतुर हो,किरण जैसी दमदार !
मैरीकॉम से मेडल जीते, संभाल के परिवार !!
हर काम में अव्वल हो,रहे पति सेवा को तैयार !
स्वादिस्ट भोजन बनाये,वो प्यार करे बेसुमार !!
पत्नी ऐसी दीजीए , हमको तुम भगवान !
कभी न कोई मांग हो,करे न्योछावर प्राण !!
@———-डी. के. निवातियाँ !!
बहुत ही बढ़िया डी के सर
उत्साहवर्धन के लिए बहुत बहुत धन्यवाद !!
Achchi “Kalpna”
उत्साहवर्धन के लिए बहुत बहुत धन्यवाद !!
कमाल का व्यंग है दोनों रचनाओं में….मजा आ गया….इस से एक पुराना जोक याद आ गया…किसी ने दोस्त से पुछा…तुम्हारी होने वाली बीवी लंबी हो…सुन्दर हो चाँद जैसे…बाल भी लंबे हों…चाल हिरनी जैसी हो…आँखें गोल गोल बड़ी बड़ी हों….मुस्कुराती हो तो बिजलियाँ चमकती हों…तो कैसे रहेगा….दोस्त बोला मैंने अफवाहों पे यकीं करना छोड़ दिया है…….
आपके साहित्य प्रेम और आपकी ह्रदय विशालता का आभारी हूँ जंहा आग्रह करने पर भी लोग नजर नही करते, आप स्वत: ही अनुग्रहित करते रहते हो ….. पुनः धन्यवाद आपका !!
बहुत ही सुन्दर व्यंग सर।हा हा हा हा हा हा हा बहुत मज़ा आ गया पढ़कर । काश !दोनों रचना के युवक युवति की अभिलाषा पूरी हो जाती ।