इस राह में चलना जरा सा देख भाल के
हमने तो रख दिया है कलेजा निकाल के.
मजबूर हैं बहुत पर मशहूर तो नहीं
दे ना सकें दुआयें जो दिल से निकाल के.
किस से करे भला हम फरियाद अब यहां
बैठा हुआ उल्लू अब हर एक डाल पे .
मोहरे सजाये वक्त ने कैसे हुनर के साथ
जीती है हर लडाई उसने सिर्फ ढाल से.
एक भीड सामने बजाती थी तालियां
सच का किया है कत्ल कितने कमाल से.
तेरे बगैर मुमकिन अब जिन्दगी कहां है
रखा है हर एक याद को तेरी सम्भाल के.
पूजा है दास जिसको अपना खुदा समझकर
उसने बनाया आसन हमारी ही खाल से.
शिवचरण दास
कमाल है दिल को धडका दिया सर……..
बहुत बहुत शुक्रिया आपका
मोहरे सजाये वक्त ने कैसे हुनर के साथ
जीती है हर लडाई उसने सिर्फ ढाल से.
very nice line
बहुत बहुत शुक्रिया. आभार