है वह छोटी सी,
है वह रन्गीन,
उसे देखकर किसी फूल पर,
तो लगती है वह हसीन ।
उडे वह बडे शान से,
फैलाके अपने पन्ख,
उसकी गति को देख्कर,
लोग रह जाते है दन्ग ।
कुदरत ने उसे बनाया,
क्या चमत्कार है,
उसे देखते ही,
लगता है क्या आविष्कार है !
तितली है वह,
हा, तितली है वह,
फैलाये खुशीया,
जहा भी जाये वह ।
दूर तक जाये वो,
जहा तक जाती है नझरे,
फिर आती है वो,
हमारी यादो मे ।
सारी चिन्ताओ से मुक्त,
करती है वो हमे,
अन्धेरी राहो मे,
भर देती है उजाले ।
जो बाधा आये,
उसका करती है सामना,
अपनी मन्झिल की ओर,
उसे है उडना ।
तितली है वो,
हा, तितली है वो,
फैलाये खुशीया,
जहा भी जाये वो ।