कोइ मिल गया जिसे देख दिल धडकने लगा है
उससे मिलने कि कमबख्त ये चाहत रखने लगा है
कभी एक बुन्द थी प्यास मेरे दिल कि
अब ये भी समुन्दर कि चाहत रखने लगा है
जानता हु पाना तुझे है नामुमकिन
फिर भी क्यु ये मुमकिन सा लगने लगा है
यु तो मै वादे हजार कर दु तुझसे
कही टूट ना जाये ये डर सा लगने लगा है
दुर रहने कि कोशिश करता मै तुझसे
मगर इस दिल को तु धडकन सा लगने लगा है…
शायद ये पागल तुझपे मरने लगा है………
किसी को देख नही धङकता दिल
हर लम्हा धङकता है दिल
ये भूल है हमारी किसी की अमानत को
अपनी चाहत मान लेते है हम