अब तो इन्तजार कि आदत हो गयी है
उसका नाम लेना खुदा कि इबादत हो गयी है
जिसे देख कर जिने कि चाहता रखता था मै
वही मेरे जिन्दगी कि कातिल सी बन गयी है
आने के लिये कोइ नहि जाता है छोड कर
ये जान कर भि वो क्यु इन्त्जार के लिये कह गयी है
उसके एक वादे मे जी लुगा मे अकेला
तो तुम ये ना कहना कि अजय ये तो हद हो गयी है
वो लौटे या ना लौटे मेरा फिर भि वादा है उनसे
लौटूगा मर कर मै क्युकी वो इन्तजार को कह गयी है…..